गुलज़ार साहब के कुछ कोट्स और शायरी
कुछ ऐसे हो गए है इस दौर के रिश्ते¸
आवाज अगर तुम ना दो तो बोलते वह भी नही।
तुझसे कोई शिकवा शिकायत नही है
जिंदगी तूने जो भी दिया है वही बहुत है।
तोड़कर जोड़ लो चाहे✧¸ हर चीज दुनिया की¸
सब कुछ काबिले मरम्मत है✧ एतबार के सिवा।
जिन्हें वाकई बात करना आता है✧¸
वो लोग अक्सर खामोश रहते है✧।
आवाज अगर तुम ना दो तो बोलते वह भी नही।
जिंदगी तूने जो भी दिया है वही बहुत है।
सब कुछ काबिले मरम्मत है✧ एतबार के सिवा।
वो लोग अक्सर खामोश रहते है✧।
लगता है✧ आज जिंदगी कुछ खफा है✧¸
चलिए छोड़िए कौनसा क्या पहली दफा है✧।
चलिए छोड़िए कौनसा क्या पहली दफा है✧।
इतना क्यों सिखाई जा रही हो जिंदगी
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां
बहुत छाले हैं उसके पैरों में
कमबख्त उसूलो पर चल होगा
कमबख्त उसूलो पर चल होगा
तुम ठहरो ¸आज 🕥वक्त को जाने दो।
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