क्या कहें हम रखते ही नहीं खबर कौन कैसा है…
कर लेते हैं भरोसा हर एक पर अपना तो दिल ही ऐसा है।
मैं तो बस एक मामूली सा सवाल हूँ साहिब..
और लोग कहते हैं.. तेरा… कोई जवाब नहीं… 😎😎
बस इतना ही है मुझको तुमसे कहना..
बड़े अच्छे हो तुम, ख्याल रखा करो अपना..!!
कर्ज है तेरे ऊपर मेरे सजदो का..
मैंने एक अरसे से तुझे खुदा माना है..!! ☘️🌻
सिर्फ ये सोचकर हमने अपनी आस्तीन नहीं झटकी..
ना जाने कितने सांप और सपोले बेघर हो जाएंगे..!
शायरों से ताल्लुक़ रखो, तबीयत ठीक रहेगी..!
ये वो हकीम है जो अल्फाजो से इलाज़ करते है..!! 💖💜💖
माफीनामा तैयार कर रखा था मैंने भी..!
मालूम था कसूर मेरा ही निकलेगा..!
अगर लोग यूँ ही कमियां निकालते रहे तो,
एक दिन सिर्फ खूबियाँ ही रह जायेगी मुझमें।
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदल के देख,
मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकल के देख।
हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ,
जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा.
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो,
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना !!
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो!!
नादान आईने को क्या ख़बर कि..
एक चेहरा, चेहरे के अंदर भी होता है
अगर तुम्हे यकीन नहीं तो कहने को कुछ नहीं मेरे पास,
अगर तुम्हे यकीन है तो मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं।
मैं न कहूँगा दांस्ता अपनी..
फिर कहोगे सुनी नहीं जाती।
No comments:
Post a Comment